Monday, 30 April 2018

"जातिगत समीकरण में उलझते भारत की तस्वीर"

साथियों नमस्ते ,

विश्वगुरू बनने की होड़ में लगे भारत की भीतरी समस्यों को समझने के बाद प्रस्तावित विश्वगुरू बनने के सपने की स्थिति क्या होती है ।

यह समझना आसान हो जायेगा । बिगड़े परिवेश और आर्थिकता की डोली जिस प्रकार अर्थी में बदल गई है , उसे देखकर तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है सोने की चिड़ियाँ रहे भारत की आगामी स्थिति और कितनी भयावह होगी ।

लोकलुभावनता की तश्तरी में आग के झोके दलितों पर होते जुल्म की भाँति है , जब सत्ता ने साथ उसके मित्रो के संग मिलकर आरोपियों , कट्टरवादियों का दिया वहाँ यह समझ लिया गया देश की सामाजिक स्थिति और कितनी दयनीय हो सकती है ।

कर्नाटक में लिंगायत को जातीय , धार्मिक अल्पसंख्यकता को दर्जा देने के समीकरण के बीच यह स्पष्ट हो गया 15 जातियों , उपजातियों के बीच पल रहे भारत का हश्र आने वाले दिनों में कैसा होगा !

2 comments:

  1. सही बात है। सत्ता के लालच में तथाकथित कुछ ऐसे राजनेता है जो नही चाहते हैं कि भारत के नागरिकों में भाईचार बना रहे।

    अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए सारे राजनैतिक दल भारत को जातिगत आधार पर बांटने में लगे हैं।

    सत्ता पक्ष हो या विपक्ष , हर राजनैतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए समाज को बांटने में लगा है। राजनैतिक दलों ने अपनी नैतिकता खो दी है।

    कभी मौका मिले तो हमारे तकनीकी ब्लॉग पर ज़रूर आईयेगा।

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