Saturday 21 August 2021

यह कीर्ति नही त्याग है!

यह कीर्ति नही त्याग है!

जो धाक नही आग निगलता है,

जीत नही हार में जलता है

यह कीर्ति नही त्याग है!


विश्व के जाली अमर संहार में

लिए पताका कूदे मैदानों सवार में

रंगो में बहुरंग उगलता है

यह कीर्ति नही त्याग है!


यों मौत से ह्रदय भयहीन

देखो तो सिंह सा विराट प्रतिदिन

इतना ही नही यह काँटों में चलता है

यह कीर्ति नही त्याग है!


इस अंधरे विश्व में अवसर खूंटे बंधे

युवा भरके सपने आँखों में इतने ही थके

नया सवेरा नया जोश खून उबलता है

यह कीर्ति नही त्याग है!



राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

  नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...