शंकरसुवन पितृ सभी की
अभ्युदय अर्जी सुनते है
भुजंग - आसन बिछाते
तृण पद पद बुनते है।
नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...
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