साथियों नमस्ते ,
विश्वगुरू बनने की होड़ में लगे भारत की भीतरी समस्यों को समझने के बाद प्रस्तावित विश्वगुरू बनने के सपने की स्थिति क्या होती है ।
यह समझना आसान हो जायेगा । बिगड़े परिवेश और आर्थिकता की डोली जिस प्रकार अर्थी में बदल गई है , उसे देखकर तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है सोने की चिड़ियाँ रहे भारत की आगामी स्थिति और कितनी भयावह होगी ।
लोकलुभावनता की तश्तरी में आग के झोके दलितों पर होते जुल्म की भाँति है , जब सत्ता ने साथ उसके मित्रो के संग मिलकर आरोपियों , कट्टरवादियों का दिया वहाँ यह समझ लिया गया देश की सामाजिक स्थिति और कितनी दयनीय हो सकती है ।
कर्नाटक में लिंगायत को जातीय , धार्मिक अल्पसंख्यकता को दर्जा देने के समीकरण के बीच यह स्पष्ट हो गया 15 जातियों , उपजातियों के बीच पल रहे भारत का हश्र आने वाले दिनों में कैसा होगा !