Wednesday 25 April 2018

कशिश बाकि है

कम नजर जरा खोल
आँखे , यादे पुरानी है
नमी आँखों की मस्ती
पलती जवानी है।

            कसकर दामन थाम लो
            भयंकर भावुक चलेगी हवा
            मुहब्बत तभी होगी पूरी
            जिसमे शामिल तुम रवाँ।

दम पर तुम्हारे जमीन
पर कतरे खुशियों के फैलाएंगे
गीले अहसास ,तर रूह को
तुमसे जीवन बनाएंगे।

            ढूंढ लिया कल्ब ने खुद से
            ख़िताब रूबरू करके
            मचा हल्ला महकमे में
            एक बार सभी के , आहें भरके।

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