Wednesday 4 July 2018

भारत की नई संस्कृति " भीड़तंत्र "

अनहद नमस्कार साथियों ,

भारत वह देश जो अनहद खूबियां लिए एक स्वर्ग की तरह बसा है । जिसके उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम हर दिशा में विश्व धरोहरें है ।

लेकिन कुछ समय से कुछ घटनाएँ लगातार सुनने देखने को मिल रही है , और खास बात यह की घटनाएं सामान्य नही है , क्योकि भारी संख्या में लोगों की हत्याएं होती हुई नजर आ रही है ।

इन सबके बीच और एक बात ध्यान योग्य , यह सभी घटनाएं भीड़ द्वारा किसी अफवाह के अंतर्गत अंजाम दी जा रही है । क्या इनसे यह नही लगता की लोग अंध श्रद्धा में लोगों के गले काट रहे ! क्या यह नही लगता की देश में लोगों को कानून संविधान का भय होता भी होगा ! सत्यता क्या यह नही की कहीं न कही सत्ता का समर्थन इन उपद्रवियों को तो नही मिल रहा!

यह सुनियोजित घटनाएं लगातार भारत की संस्कृति में तब्दील हो रही है । इससे महज और महज भारत और भारत के सामाजिक ताने बाने को भयंकर नुकसान ही होना है ।

Monday 2 July 2018

अँधेरा घना है !

अगस्त्य की वाणी सही थी
घोर कलयुग बुरा आएगा
निशाचर कोई सतत भू पर
विपुल विकटता बरसायेगा।

         उजडी अऊसर वसु पर
         छाती मनु है अपनी पीटेंगे
         नेह की कमी का लाभ
         असुर अनय के रूप में करेंगे।

जीवन की अदृश्य कहानी
क्या बतलाऊं राकेश तुझे
कश्ती की पतवार टूटी
सवार एक स्वर में जूझे।
     
          किंचित मन में विरह
          बाजुओं के सो जाने की
          है कोई आशा किसी वीर
          के रक्षा के लिए आने की!

अब है निराश नीरज का हिय
कूलों ने जबड़े अपने उछाले
इन भोर के जवानों को
उठाओं छावनियों पर लगे है ताले

Sunday 1 July 2018

हथेलियों में जादू है !

वो चमकती हथेलियों में कौन सी जागीर है
जिसे पाने को लोग बनने को चाहे हकीर है।

वो नजरें करम का आशियाना है
या बारिश का बागों में फैला फ़साना है।

क्या वो गुलों का ताज पहने कोई हूर है
कश्ती में सवार मीनाक्षी कसीर है!

ख्वाबों में पैबस्त हलकान नूरानी
खुश्क निरा हालाकि जगमग पेशानी?

गैरों पर दम नजरे करम
खालिक की नेमत सरासर विषम।

राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

  नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...