Sunday 1 July 2018

हथेलियों में जादू है !

वो चमकती हथेलियों में कौन सी जागीर है
जिसे पाने को लोग बनने को चाहे हकीर है।

वो नजरें करम का आशियाना है
या बारिश का बागों में फैला फ़साना है।

क्या वो गुलों का ताज पहने कोई हूर है
कश्ती में सवार मीनाक्षी कसीर है!

ख्वाबों में पैबस्त हलकान नूरानी
खुश्क निरा हालाकि जगमग पेशानी?

गैरों पर दम नजरे करम
खालिक की नेमत सरासर विषम।

No comments:

Post a Comment

राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

  नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...