रातों की सूरत में
फूल से बिखरे है
हवाओं की लपटों
के मानो हजार नखरे है।
तांक में दीये जले से
मकान में टिमटिम
सफेद हंसते हुए
हिलता डुलता तिलिस्म
पक्षियों में चहचहाट
आपसी चर्चा दौड़ लगाने की
बन्दिशों को तोड़ मनसा
आगे बढ़ जाने की
उमंगो की बालियां बनकर
सतरंगी चमकते , चलते
झाग समन्दर के फलते
और घूमने मानो निकलते
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