Friday 18 December 2020

वर्तमान की नारी वेदना !


क्यों इंसान एक इंसान को समझ नही पाता क्यों उसके जज्बात को आत्मसात ( स्वीकार ) नही कर पाता सिर्फ इसलिए की वो आपसे अलग राय - सोच रखता है! इंसान इंसान के लिए क्यों नही जी पा रहा? क्यों उसके मन में औरों की ख़ुशी का कोई स्थान नही ? आइये हम समझने की कोशिश करते है की हम इंसान की टूटती सांसो को कैसे प्रेम से जोड़ सकते है।


दुनिया में आज एक ऐसा माहौल बना है, जिसमे एक इंसान को दुसरे इंसान से कोई मतलब नही ( लेकिन हाँ! कोई अंजान ही क्यों न हो अगर उसका बुरा करना होगा तो इंसान आगे हो जायेगा ) अगर मरता ही कोई क्यों न हो पर उसे जल तक नही पिलाया जायेगा।किस मजहब का है ? किस जाति का है? अमीर है गरीब है ? इतने सवाल।


आज हमारे देश में कई बेटियां है जिनका विवाह अब तक नही हुआ।पुत्री के परिवार का दर्द समझा जा सकता है।माता पिता परेशान रहते है।क्योकि उनके मत में सही वक्त पर बेटी का विवाह हो जाना चाहिए परन्तु कोई कारण वश नही हो पाता।


लेकिन!क्या हम यह तथ्य भूल सकते है की बाहरी समाज में रहने वाले भी बेटियों की शादी न होने देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है? नही बिल्कुल भुलाया नही जा सकता।


कोई रिश्ता किसी बेटी - पुत्री के लिए आया तो शुरू कर दिया हड़काना " अरे उसमे ऐसा है वैसा है अब आप देख लो अपने हिसाब से " यह सब बात करके भड़का दिया जाता है।

यानि बाहरी समाज में रहने वाले लोग बेटी के परिवार या उसके माता पिता की जगह होकर खुद को नही सोचते ।की किस प्रकार से बेटी की शादी न होने से माता पिता उन बेटियों के कितने परेशान है। बस रिश्ता तुड़वाकर आत्म सन्तुष्टि प्राप्त करके हरिओम कर जाते है।


परन्तु आप ही बताइये किसी की बच्ची का रिश्ता हो जाए ऐसी नियति अगर समाज रख लेगा तो क्या बिगड़ जायेगा?


जबकि बाहरी समाज के लोग जो पुत्र पक्ष को भड़काते है उनका दावा रहता है हम तो आपको बचा रहे है!


लेकिन उनका ये दावा सच है ! कवि को उनके दावे में संदिग्ध षड्यंत्र की बदबू प्रतीत होती है।क्योकि लड़के वाले पक्ष का लाभ करके बाहरी समाज के लोगों को क्या लाभ मिल जायेगा जबकि वे लोग आपस में जानते भी नही और इस दौर की सच्चाई भी यही है की बिना मतलब कोई किसी से कोई मतलब कोई सम्बंध भी रखना नही चाहता फिर ये जबरन की मदद करने वाला दावा या नियति संदिग्ध है।


जबकि सोच ये होनी चाहिए की किसी का घर बसता हो कोई खुशहाल जीवन जीने के लिए आगे बढ़ता हो तो उसका समर्थन करना चाहिए या ये नही कर सकते तो तटस्थ हो जाओ पर किसी का बुरा तो मत करिये ।


अगर आज इंसान ये सोच ले की हमने किसी का बुरा नही किया तो हमारे साथ भी बुरा नही होगा तो आज समाज में कोई बेटियों के माँ बाप बेटियों की शादी के लिए परेशान एवं चिंतित नही होंगे!


सोचकर सोचिये औरों को खुश देखकर जब आप खुश होंगे तो आत्मीय शांति मिलेगी।जीवन मिला है इंसानियत से मुहब्बत करने के लिये न की नफरत, धन्यवाद 🙏


-- शहादत, कवि ( हिंदी )

No comments:

Post a Comment

राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

  नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...