Saturday 4 February 2017

झलक की भी बेचैनी है

झलक की भी बेचेनी है

साँसो की हल्की करनी है



वह एक जगह थी कामायनी

दिल से लगी थी सुंदर नयनी


मासूम सी अदाओ में सिमटी

मखमल के बदन में लिपटी


कपाल पर , मेरे दिल के काल

झुरमुट मुस्कान के तेरे आमाल



बालो से लहराऐ छाया फैलाए

पलके झपका दिल को तरसाए


छलक जाए आंसू , तड़प जाए गेसू

सजदे में गिरे सर झुक जाए बाजू









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