Monday 26 February 2018

निसर्ग की व्यथा

मधुमास में फूलों के यौवन
में वारें क्यों पड़ी है?
कहीं दिनकर के प्रकोप दृष्टि
इन मासूमो पर तो नही गढ़ी है?

कलावती के कूल सूखे सूजे
अनिर्मित से प्रतीत होते है
पतझड़ के अवगाह से
यह प्यारे प्यारे फूल क्यों रोते है?

कामायनी सी सुरभि हताश
होकर! झिलमिलाता दीया बनी क्यों?
तिमिर की नोक ने घायल कर दिया
अगर नही तो ये सनसनी क्यों?

शिंजन नदारद मक्का से
सूक्ष्म सूक्ष्म कीटों की
कलियाँ व्रतों से क्षीर की भाँति बहती
उन्हें जरूरत छींटों की

उपल निर्झरों से दो बूंदों
का प्यास से आग्रह करते है
किन्तु अलि के प्रकोपों से
भय भी खूब करते है।

1 comment:

राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

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