कड़ी धुप की नजर मुझपर
आकर न जाने क्यों गिर पड़ी
आग की दुनिया में
कहर सी बनकर क्यों टूट पड़ी?
किसके तानो से भभककर
मन अपना बह जायेगा
हाँ गमे दिल के रस्ते में
क्या सबकुछ यूँही छोड़ जायेगा?
आजमाइश इस दौर में
मुहब्बत को जिला जायेगी
डगमग कदम अगर हुए
तो कितनी जिंदगियां खा जायेगी?
किस कशमकश में तुम्हारा दिल
आहें भरता रहता है?
सादगी के हर सफे पर जो
चमकते हर बाब कहता है
सदर में ख्वाबो के पूरी
एक कहानी गढ़ जाती है
सुबह के अनमने लम्हों में
भीने अहसास छोड़ जाती है
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