मै व्यवहारिकता का जला
दीया सलाम तुम्हे करता हूँ
सखावत के लिए मै
खुदी को नीलाम करता हूँ
जमाने की अदावत मिट जायेगी
हमी को हो परवाह प्रतिबद्धता तुम्हारी सिखाएगी
मिशाल क्या दूँ बड़े आशिक मिजाज
हो , ऐ फ़ासलें वालों
जरा अपने ह्रदय को
मेरी जानिब तो लगा लो
मुहब्बत के गुलशन में
अल्हड़ फूल से चेहरे तुम्हारे है
अपने घरों से शत्रुओं को
मेरे वतन से क्या खूब निकाले है
वाह!!!
ReplyDeleteApka shukriya
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