Monday 13 February 2017

दोपहर की धुप खिली है

दोपहर की धुप खिली है

निवास के भीतर भाप चली है

दोपहर की धुप खिली है

लम्बी गलियोँ तक दृष्टि देखे

कोई गलती से भी न दिखे

दोपहर की धुप खिली है

3 comments:

  1. बहुत खूब 👍

    कभी वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग को भी ज़रूर देखिएगा !

    www.tech2hindi.in

    www.siwanrinku.blogspot.in


    ⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫⏫

    ReplyDelete
    Replies
    1. अवश्य मित्र , आप प्रतिभाशाली है ।

      Delete
    2. अवश्य मित्र , आप प्रतिभाशाली है ।

      Delete

राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

  नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...