गीत सुना जाता हूँ
टूटे हुए स्वर
सूखे लुटे अधर
मुफ़्त के ही कूचों में
उलझे है सरासर
खुली वात से स्वयं टकरा
जाता हूँ
गीत सुना जाता हूँ
हल्की मन्द दर्द की लहरो में
मुख को अधेंरे में चमका जाता हूँ
गीत सुना जाता हूँ
टूटे हुए स्वर
सूखे लुटे अधर
मुफ़्त के ही कूचों में
उलझे है सरासर
खुली वात से स्वयं टकरा
जाता हूँ
गीत सुना जाता हूँ
हल्की मन्द दर्द की लहरो में
मुख को अधेंरे में चमका जाता हूँ
गीत सुना जाता हूँ
बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteबहुत खूब ,,,,उम्दा ।।।
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