Saturday 25 February 2017

गीत सुना जाता हूँ

गीत सुना जाता हूँ

टूटे हुए स्वर

सूखे लुटे अधर


मुफ़्त के ही कूचों में

उलझे है सरासर


खुली वात से स्वयं टकरा

जाता हूँ

गीत सुना जाता हूँ


हल्की मन्द दर्द की लहरो में

मुख को अधेंरे में चमका जाता हूँ


गीत सुना जाता हूँ


2 comments:

  1. बहुत खूब ,,,,उम्दा ।।।

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