'' परिणीति ''
डोर बंधी ह्रदय से होकर
आत्मा तक पकड़ की
असहाय जीवन को बल देकर
गाथा एक भव्य जड़ दी
एक सुहाना , भीना आभास
यह मौसम स्वस्थ पहचाना
दर्शन अर्ध खिन्न क्षण पर सकल भारी
नर्त्तन अमा ने चढ़ाया इसपर बाना
विविध सांसो में खलबली
आकार निराकार का प्रत्यक्षी
संस्कार के पार नीलकंण का टुकड़ा
कनक वेद का दुलारा सुंदर तक्षि
आंगन में फूलवारी पर तुषार
लाल कुसुम की लालिमा
गोद में मासूम महिमा का सब
दुर्लभ विहंगम असीम दूर फैली शुभ सी अमा।
खूबसूरत शब्द
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