Sunday 18 February 2018

पुंज

पनघट के छल्ले में कोई
उजला पुंज सतह पर पसरेगा
निज जयंत के उदघोष लगाकर
राकेश रश्मि से झगड़ेगा

अपरान्ह के प्रारम्भ तक
संझा की फेरी के द्वार
उषा की नग्न बहारें
ताजगी के प्रशाल तार तार

अनल के क्रियाकलाप शीतल
लौ फ़िजा में लगाएंगे
मज्जा के ऊपरी , निजले भाग
शांत वातावरण पाएंगे

विशाल समूह में रंग , एक साथ
होलिका की ढेरी सजेगी
रत घरिणीयां साड़ी पल्लू
लेकर चौराहों के ओर बढ़ेगी।

1 comment:

राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

  नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...