Friday 9 February 2018

आत्मीय शांति का अभाव 

मै सामान्य बातों की चर्चा न करते हुए आज की हमारे दैनिक जीवन में घटती घटनाओ का जिक्र करूंगा। 
 
आज हम बेहतर जीवन स्तर जी रहे है। इसका मतलब यह नहीं की हम भाग्यशाली है। 

जीवन स्तर अच्छा हो यह भी बुरी बात नहीं लेकिन बेहतर जीवन स्तर होना भाग्यशाली होना  नहीं है।

मै  इस बात को अभी यही छोड़ देता हूँ। मै आपका ध्यान थोडा दूसरी ओर ले जाना चाहूंगा। 

अभी यूपी में आधार कार्ड नहीं होने पर एक बुजुर्ग की मौत हो गई। इसके इतर ३९ बरस 
के एक व्यक्ति के पास राशन  नहीं था वह भी भूख के चलते मर गया। उसके कुल घर की कीमत  २००० हजार रू थी। माँ वृद्धा थी। मै यह सवाल पूछना चाहता हूँ। बुलेट ट्रेन की घोषणा ने ह्रदय को ख़ुशी तो दी। किन्तु बिन आधार के मेरे राष्ट्र के लोगों की मौतें भी तो चिंतित करती है। तकनीक के इस दौर में जीवन स्तर में सुधार तो आया लेकिन लोगो की अनिश्चित मौतें ह्रदय को चिंतित करती है। सुनियोजित हत्याओं ने पुनः सोचने पर मजबूर कर दिया। क्या हम हमारे देश के लोगों को स्वतंत्र जीने का अधिकार भी नही  दे सकते ?  जहां हम एक कुत्ते के लिए लाखों खर्च करते है। वहां क्या  हम अपनी बिरादरी [हम वतन] को जीने मात्र तक का राशन नही दे सकते ? सोचिये और निर्णय कीजिये नफरत कभी इंसान का फायदा नहीं कर सकती। 

1 comment:

  1. इंसानियत से ज्यादा जरूरी आधार कार्ड का होना हो गया है

    ReplyDelete

राजनीति से औधौगिक घराने की दोस्ती कानून पर भारी पड़ जाती है?

  नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...