मूर्तियों में देश का ध्यान
धँस सा गया
तुझी से तुझी की आत्मा
को कोई ठग सा गया
महंगे गुलिस्ताँ में कोई
क्यों हाथ डाले
उसे उठाने से पहले
बताएं कोई छाले
कसम से शुरू झंडे
को सलाम तो किया लेकिन,
कुर्सी के कायदे में
अच्छे से अच्छा ढल सा गया
नमस्कार , लेख को विस्तृत न करते हुए केवल सारांशिक वेल्यू में समेटते हुए मै भारतीय राजनीत के बदलते हुए परिवेश और उसकी बढ़ती नकारात्मक शक्ति ...
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