है हल्ला जिंदगी में मगर
हां बाकी जरूर चालाकी है
गुस्ताखी माफ़ करिये मेरी
हां इश्क के प्याले का तू ही साक़ी है
गमले में नमी फूलो की
जेवरात से बढ़कर
गुस्ल पाकी के लिए
ईमान मुकम्मल नीयत पर चढ़कर
महके गली मुहल्ले आँगन
एक बड़ी गुजर से तुम्हारी
आगाज अंजाम का सिलसिला
कामयाब जिंदगी हमारी
गले में गुलजार , आँखों में
बरसात बहुत तारी है
गुस्से को पी जाए ताकि
हमसफ़र जागे यही तुम्हारी गमगुसारी है
कलियों में जवानी उमड़ती
रास्तों को खबर मिल जाती है
पौं सुबह की फटती
आफताब सी चमक जाती है
जुल्फों में उलझकर क्या
खुद को क्या उलझाना है
बेफिक्र अंदाजो का
दिल तो मेरा दीवाना है
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